letra de 7 - gyan vigyan (ज्ञान विज्ञानं) - shlovij
आगे बढ़ते हैं हम अगले अध्याय की ओर
महत्वपूर्ण अध्याय इस पर करना थोड़ा गौर
क्या ज्ञान, क्या विज्ञान और क्या महिमा है माधव की
थामी फिर से माधव ने अर्जुन के संशय की डोर।
हे पार्थ सुनो लगा ध्यान सुनो
समझाता हूं हर ज्ञान सुनो
अर्जुन, मैं ही नारायण ईश्वर
तत्वों का ज्ञान सुनो
पूजा पाठ तो दुनिया करती
मगर मुझे पाता है कौन?
मुझे पा लेता हे पार्थ
करे जो योग सच्चा और ध्यान सुनो।
जल, अग्नि ,पृथ्वी, मन, वायु
अहंकार, बुद्धि, आकाश
आठों मेरी प्रकृति हैं
मैं ही अंधकार, मैं ही प्रकाश
मुझसे ही आया सब कुछ
उत्तर भी मैं, मैं ही प्रश्न
पार्थ मुझसे ना भिन्न कुछ भी
सम्पूर्ण लोके, हर वस्तु कृष्ण।
मैं ही हूं, हे पार्थ चंद्र भानु में प्रकाश
मैं ही हूं, हे पार्थ हर एक जल में जो मिठास
मैं ही हूं, जो वेदों में कहलाया ओंकार
वो मैं ही हूं, जो हर वस्तु को देता है गुण खास।
बलवानों का बल, बुद्धिमानों की बुद्धि मैं हूं
तेजस्वी का तेज, जीवों की उत्पत्ति मैं हूं
सुन अर्जुन, ये सत्व गुण व रजो गुण के भाव सभी
मुझसे ही उत्पन्न, सभी भावो की शक्ति मैं हूं।।
chorus:
दुनिया रचायी मैंने मैं ही चलाता जग
स्वयं ईश्वर सामने तेरे अर्जुन मेरे रूप समझ
ना मुझसे भिन्न दूसरा अर्जुन संसार में कुछ
कण कण में ईश्वर यानि, कण कण में कृष्ण समझ।।
राजसिक या तामसिक या सात्विक कोई भी काम
तीनों गुणों से मैं परे ना मुझपे है विराम
मैं ही अनंत, मैं ही अंत मैं ही माया अर्जुन
मैं ही नारायण, मैं ही विष्णु की हूं काया अर्जुन।
मुझको हैं भजने वाले, धरती पर इस प्राणी चार
जिज्ञासु,ज्ञानी,आर्त, चौथा जो चाहे संसार
भजने वाले काफी पर भजता जो मुझे जानने खातिर
कहलाता ज्ञानी वो भक्ति उसकी मुझे प्रिय अपार।
जन्मों जन्मों तक चलती क्रिया मुझे जानने की
क्या किसका है स्वभाव व्याख्या ये ज्ञान ने की
जिनका स्वभाव जैसा, अर्जुन वैसे देव वो चुनते
कर देता स्थिर मैं, भक्ति उन्ही देव को मानने की।
अर्जुन मैं योगेश्वर, सुन ये मेरा स्वरूप नहीं है
मैं अपनी योगमाया से छिपा, ये असली रूप नहीं है
दुनिया ये जिसमें सब हैं, जन्मों का खेल है अर्जुन
और मैं हर जन्म का ज्ञाता, सिर्फ कृष्ण मेरा रूप नहीं है।।
chorus:
दुनिया रचायी मैंने मैं ही चलाता जग
स्वयं ईश्वर सामने तेरे अर्जुन मेरे रूप समझ
ना मुझसे भिन्न दूसरा अर्जुन संसार में कुछ
कण कण में ईश्वर यानि, कण कण में कृष्ण समझ।।
outro:-
मैंने ये नहीं कहा मुझे भजने को संसार छोड़ दो
मैंने ये नहीं कहा मुझे भजने को घर बार छोड़ दो
मैंने है यही कहा निष्काम भाव से सारे कर्म कर
मैंने ये नहीं कहा मुझे पाने को संसार छोड़ दो।
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