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letra de मेरे दादा जी - rapperzeet

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मेरे दादा जी
पहलवान “श्री होशियार सिंग बेनिवाल गौतौली”
परस्तुति :- जितेंद्र सिंग बेनिवाल
[verse]
जेब में पैसा नहीं था फिर भी वे अमीर थे
स्कूल भले ही ना गए फिर भी वे वकील थे
अनं उन्होंने कम ही उगाया फिर भी वह वीर थे
[chorus]
टीवी, बिजली, मोटर, गाडी कुछ नहीं था उस समय
था तो बस प्यार प्रेम, लिहाज शर्म और आपसी भाईचारा /बैठक में था हुक्का गली महोले में पहलवान का रुका।
पहनावे में खादी का कपडा, घर में थोडा दादी का झगड़ा।
यही मनोरंजन था उस समय माना वह फकीर थे
[verse 2]
जेब में पैसा नहीं था फिर भी वे अमीर थे
जेब में पैसा नही था फिर भी वे अमीर थे
हर झगड़े को सुल्टा देने वाले उनके ही जमीर थे
उस दौर के सबसे तेज जाने माने वे ही समीर थे
परिवार को संभाले रखने वाले वे ही सेहतीर थे
[chorus]
मिट्टी में हल जोते पसीने से धरती पोथे
रुख की छाव तले खेतों मे खाट घाले
मिट्टी की प्यास बुजाते नेहरो से जल लाते
कस्सी कसोलाधारी वे ही तो वजीर थे
[verse 3]
जेब में पैसा नहीं था फिर भी वे अमीर थे
जब भी जिक्रा चाल उस दोर का
पहल नाम आव म्हारे पहलवान के जोर का
गाम म गुवाण्ड म नाम आज भी बुढ़‌या की जुबान म
जन्म त समसान म जीवन था महान म
आणिय जानिय का बैठक म स्वागत सत्कार था
सब के साथ बहुत ही बेहतरीन बेहवार था
अखाडा हो था खेतु बस मिट्टी से ही उनका प्रेम प्यार था
खेद है मुझे की म होश ए रुबरु न हो सका उनसे
पर जितना सुना पता चला की मिट्टी की तरह उनका शानदार किरदार था
[chorus]
मेरे दादा पहलवान की कहानी पुरानी
उनके हाथों में थी मिट्टी की निशानी
मुट्ठी में आसमान की ख्वाहिशें थीं
धरती पर चलने की सादगी भी थी
[chorus]
दादा के सपने
दादा के किस्से
गाँव की गलियों में चलते हर हिस्से
हर मोड़ पर उनकी यादों का घर
दादा की बातें जैसे चाँद का सफर

[verse 4]
खेतों में हल और सूरज की रौशनी
उनकी मेहनत थी जैसे एक रागिनी

[bridge]
उनकी आवाज़ में था एक जादू
हर शब्द में छिपा कोई राज़ था
उनके साथ वक़्त जैसे रुक जाता
दादा के किस्सों में जहाँ बस जाता

[chorus]
दादा के सपने
दादा के किस्से
गाँव की गलियों में चलते थे हिस्से
हर मोड़ पर उनकी यादों का घर
दादा की बातें जैसे चाँद का सफर

[verse 5]
अब मैं बैठा हूँ उनकी फोटो लिए
उनके किस्सो की छाया तले
दादा की दुनिया मेरे दिल में बसी
मेरे हाथ की पेंसील उनकी फोटो बनी
तीन अक्ष उनके मौजूद यहाँ
सुरेश, रमेश, रोहताश जहाँ
सपना पुरा करे उनका पोता
रवि बेनिवाल
लिखे जीता लेख सारे बेमिसाल।
।। जय दादा होशियार सिंग ।।

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