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letra de dekha hi nahi - osho jain

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[verse 1]
कभी कभी सोचता हूँ
तेरी आँखों से सच्चा
कुछ देखा ही नहीं
कितने फूल देखे मैंने
तेरे जैसा कोई
महका ही नहीं
मैंने सिक्के फेंके थे नदियों में
टूटते तारों से तुझे माँगा था
मैंने सपने देखे थे बस तेरे
पक्के दिल से तुझे पुकारा था

[chorus]
हाँ कभी कभी सोचता हूँ
वादों का इतना पक्का
कोई देखा ही नहीं
कितने फूल देखे मैंने
तेरे जैसा कोई
महका ही नहीं

[verse 2]
मैं कांटों का आँगन था
बेमौसम सावन था
फिर तू आ गया
मैं शीशे का कमरा था
पत्थर का चेहरा था
फिर तू आ गया
[verse 3]
हो, कभी कभी सोचता हूँ
तू ना आता तो
कोई आता ही नहीं
मैंने सिक्के फेंके थे नदियों में
टूटते तारों से तुझे माँगा था
मैंने सपने देखे थे बस तेरे
पक्के दिल से तुझे पुकारा था

[chorus]
हो, कभी कभी सोचता हूँ
तेरी आँखों से सच्चा
कुछ देखा ही नहीं
हो, कितने फूल देखे मैंने
तेरे जैसा कोई
महका ही नहीं
हम्म, कभी कभी सोचता हूँ
देखा ही नहीं

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