letra de zindagi tujh ko jiya hai - chitra singh
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ज़िंदगी तुझको जिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़हर खुद मैंने पिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़िंदगी तुझको जिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़हर खुद मैंने पिया है, कोई अफ़सोस नहीं
मैंने मुज़रिम को भी मुज़रिम ना कहा दुनियाँ में
मैंने मुज़रिम को भी मुज़रिम ना कहा दुनियाँ में
बस यही जुर्म किया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़हर खुद मैंने पिया है, कोई अफ़सोस नहीं
मेरी क़िस्मत में जो लिखे थे उन्हीं काँटों से
मेरी क़िस्मत में जो लिखे थे उन्हीं काँटों से
दिल के जख्मों को सिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़हर खुद मैंने पिया है, कोई अफ़सोस नहीं
अब गिरे संग के शीशों की हो बारिश, फ़क़ीर
अब गिरे संग के शीशों की हो बारिश, फ़क़ीर
अब कफ़न ओढ़ लिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़हर खुद मैंने पिया है, कोई अफ़सोस नहीं
ज़िंदगी तुझको जिया है, कोई अफ़सोस नहीं
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