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letra de kal - anurag mishra

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[anurag mishra “kal” के बोल]

[verse 1]
कैसा था मेरा बेबस-सा, बिखरा कल
तूने बाहों में अपने थामा-समेटा कल
अब से मेरा आज तेरा
तेरा ही है बाक़ी मेरा हर एक पल
कितना सुनहरा होगा सवेरा कल (कल, कल, कल)
अब तो बेताब हूँ मैं जीने को मेरा कल

[verse 2]
तुझसे मिला, ज़िंदगी को मतलब है, हाँ, मक़सद है
तुझसे मिले ज़िंदगी को पर
वो पर जिन से सपने जो थे मेरे ठहरे हुए हैं उड़े, उड़े
इस पल की आरज़ू में हम थे कब से खड़े, हाँ, खड़े
खुदगर्ज़-सी ख्वाहिश मेरी
तुझसे नहीं तो कैसे सवारेंगे कल?

[outro]
कैसा था मेरा बेबस-सा, बिखरा कल (कल, कल, कल)
पर अब बेताब हूँ मैं जीने को मेरा कल

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