letra de paaro - aditya rikhari
[aditya rikhari “paaro” के बोल]
[intro]
पारो, मेरी पारो
इशारों-इशारों में बातें समझ लेना
दिल के टुकड़े हज़ारों
बिखरने से पहले आज पकड़ लेना
[verse 1]
के शराबे ख़त्म
दिए सारे ज़ख़्म
तेरे भर न सके, सोनिया
होना रातें ख़त्म
के सुला दे सनम
मुझे बाँहों में मेरा
एक जान गई, एक जाती नहीं
एक और सितम ना कर
जिसे पाना था, उसे खो बैठे
ये काफ़ी नहीं है क्या?
[instrumental-break]
[verse 2]
के अब कुछ होश नहीं है
तू मुझको पिला देगी क्या?
मैं पी कर जो भी कहूंगा
तू सुबह भुला देगी क्या?
तू बाँहों में रख ले दो पल
फिर चाहे दूर हटा दे
मैं गोद में रख लूं अगर सर
तू मुझको सुला देगी क्या?
जाती नहीं तेरी यादें कसम से
के दिल का भरम है तू
बाक़ी नहीं अब कोई शर्म, जाना
एक धर्म है तू
जो कहती थी “मत पियो ना”
मेरी जान ज़हर हैं ये
उसे देखता हूँ कोई ग़ैर छुये
अब और ज़हर क्या पियूं?
[instrumental outro]
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